हांगकांग मार्किट के दुकानदारों के दिलों में सुलग रही “सियासी नेताओं तथा ढाबा मालिक” के खिलाफ चिंगारी कभी भी ले सकती है भयानक रूप, कल जालन्धर में होने वाली कैबिनेट की बैठक में किसका पहुंचेगा रिपोर्टकार्ड ?
अनिल वर्मा फगवाड़ा गेट में स्थित हांगकांग मार्किट को निगम प्रशासन ने माननीय हाईकोर्ट के डर से सील कर दिया मगर इस कारवाई के बाद इस मार्किट में दुकानें खरीदने वाले लोगों में निगम प्रशासन सहित सियासी नेताओं के खिलाफ खासा गुस्सा भरा हुआ है जो कभी भी फूट सकता है जिसमें कई बड़े नेताओं के नाम उजागर हो सकते हैं जिन्होने ढाबा मालिक कम बिल्डर के साथ मिलकर यहां मड्ड हाउस नंबर EK 212 में 32 दुकानों का अवैध निर्माण करवाया और बिल्डिंग विभाग के तत्कालीन एटीपी और बिल्डिंग इंस्पैक्टर ने भी अपनी ड्यूटी में घोर कोताही बरत कर सरकार का लाखों रुपयों का नुक्सान करवाया। मिली जानकारी अनुसार इस मड्ड हाउस में कारोना महामारी दौरान 2020 में लगे लॉकडाउन दौरान ग्राउंड फ्लोर में 100-100 वर्ग फुट की 14 दुकानें और फर्स्ट फ्लोर में 14 और दूसरी मंजिल पर 4 दुकानें तैयार की गई जिसकी कारोबारी रजिस्ट्रियां भी 2020-2021 दौरान करवाई गई।




इस सबंधि तत्कालीन निगम कमिशनर करनेश शर्मा के तक कई शिकायतें पहुंचने के बाद भी उन्होने कोई कारवाई नहीं की। आरोप है कि उस दौरान प्राप्टी कारोबारी ढाबा मालिक कांग्रेसी नेता की शरण में था और सियसी सिफारिश के लिए उसे फेवर भी किया गया था तांकि बिना रोक टोक यहां बनाई अवैध दुकानों को बेचा जा सके। लेकिन अब इस मामले में माननीय हाईकोर्ट मेें चल रही जनहित याचिका के फैसले का पालन न करने के चलते निगम प्रशासन के खिलाफ अब अवमानना याचिका चल रही है जिसमें निगम ने अपना ज्वाब दायर करना है। इस दौरान यह भी सूचना है कि इस प्रकण में अब शहर की एक और सोसायटी भी निगम प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी कर रही है जनहित याचिका के फैसले के बाद फगवाड़ा गेट इलाके में हुए सभी नए अवैध निर्माणों के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करने की तैयारी कर रही है जिसमें आप सरकार दौरान हुए नए अवैध निर्माण भी शामिल हैं।
उधर फगवाड़ा गेट के दुकानदारों के दिलों में भी सियासी नेताओं के खिलाफ आग सुलग रही है जिन्होने अपना उल्लू सीधा करके ढाबा मालिक के साथ मिलकर दुकानदारों को ठगा। इस मामले की आग कल सर्किट हाउस में होने वाले कैबिनेट बैठक तक पहुंचने की संभावना है। अगर सीएम मान ने इस मामले का कड़ा संज्ञान लिया तो निगम के कई बड़े अफसर अपनी नौकरी से हाथ तक धौ सकते हैं।





