बिजली संकट : चंडीगढ़ में एसेंशियल सर्विसेज मेंटेनेंस एक्ट (ESMA) लागू, चीफ इंजीनियर की हाईकोर्ट में पेशी
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चंडीगढ़ में पिछले 36 घंटे से बिजली नहीं है। हालात इस हद तक बिगड़ चुके हैं यहां सभी इमरजेंसी सेवाएं ठप होने की कगार पर हैं। चंडीगढ़ प्रशासन हालात को संभालने में पूरी तरह फेल रहा है। मामले में मनीष तिवारी ने कहा की चंडीगढ़ केंद्रशासित प्रदेश है, इसलिए इसमें हस्तक्षेप कर तुरंत हालात ठीक करवाएं।
बता दे कि चंडीगढ़ में नगर निगम के करीब 1100 कर्मचारी 72 घंटे की हड़ताल पर हैं। उनका आरोप है कि प्रशासन बिजली विभाग का निजीकरण कर रहा है। कर्मचारियों के हड़ताल पर जाते ही हालात बिगड़ गए। दो-तिहाई शहर में बिजली ठप हो गई। चंडीगढ़ प्रशासन ने पंजाब और हरियाणा से कर्मचारी मांगे थे लेकिन उन्होंने हाथ खड़े कर दिए।
शहर में बिजली की व्यवस्था बिगड़ते ही पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सुओ-मोटो ले लिया। इस मामले में आज चीफ इंजीनियर की हाईकोर्ट में पेशी होगी। वहीं कहीं से मदद न मिलने के बाद आर्मी से मदद मांगी गई। बिजली व्यवस्था को सुचारू करने के लिए मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस, चंडी मंदिर से मदद आई है। जिसके बाद शहर के कुछ हिस्सों में बिजली बहाल होने लगी है।
बिजली कर्मचारियों की हड़ताल से व्यवस्था बिगड़ती देख चंडीगढ़ प्रशासन ने एसेंशियल सर्विसेज मेंटेनेंस एक्ट (ESMA) लागू कर दिया। जिसके बाद 6 महीने तक किसी भी तरह की हड़ताल पर पाबंदी लगा दी गई है। 30 साल पहले प्रशासन ने 1992 में वाटर सप्लाई कर्मचारियों की हड़ताल को लेकर एस्मा लगाया था। हालांकि इसके बावजूद बिजली कर्मी हड़ताल पर अड़े हुए हैं।





