जालन्धर सैंट्रल हल्के में चौथी जगह टूटी अवैध बिल्डिंग को लगी सील, कमिशनर अभिजीत कपलिश के खिलाफ सीएम को शिकायत, नहीं संभल रहा निगम प्रशासन का कामकाज
अनिल वर्मा- जालन्धर के सैंट्रल हल्के में बिल्डिंग विभाग ने जिन अवैध इमारतों को पूर्व कमिशनर करनेश शर्मा के आदेशों पर सील किया था अब उन अवैध इमारतों की सीलें नए निगम कमिशनर अभिजीत कपलिश के कार्यकाल दौरान धड़ाधड़ टूट रही हैं और वहां सरेआम कारोबार शुरु कर दिए गए हैं। पहला मामला प्रताप बाग के नजदीक बनी सबसे विवादित इमारत का है जहां एक दुकान का नक्शा पास करवा कर वहां पांच दुकानें बना दी गई इनमें तीन दुकानें सैनेटरी तथा चौथी और पांचवी गौदाम के लिए इस्तेमाल की जा रही थी यहां पूर्व कमिशनर करनेश शर्मा के कार्यकाल दौरान बिल्डिंग विभाग ने सात बार कारवाई की और तीन बार डिच मशीन चलाई थी।




इनमें से चार दुकानों को एटीपी सुखदेव वशिष्ट ने बीते चार महीने पहले सील किया था मगर उनका तबादल ओएंडएम शाखा में होने के बाद अब सैक्टर का चार्ज महिला एटीपी सुषमा दुग्गल के पास है जिसकी लापरवाही के कारण इन तीनों दुकानों की पिछले महीने सील तोड़ दी गई और इस मामले में जनहित सोसायटी की ओर से निगम कमिशनर को शिकायत दर्ज करवाई गई मगर कमिशनर ने अभी तक इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया।
देखते ही देखते मंडी फैंटनगंज स्थित जिंदल कार्पोरेशन के साथ बनी तीन मंजिला अवैध इमारत की भी सील तोड़ कर अंदर कंस्ट्रक्शन का काम चालू कर दिया गया मगर इस मामले में भी निगम कमिशनर ने कारवाई नहीं की निगम प्रशासन की नालायकी यही नहीं रुकी इसी इलाके के अंर्तगर्त जगराता चौक से कृष्णा नगर की ओर कोर्नर वाली इमारत की भी बीते दो दिन पहले सील तोड़ कर काम चालू कर दिया गया यह सील भी पूर्व कमिशनर करनेश शर्मा के आदेशों पर लगाई गई थी।
वहीं लाडोवाली रोड फाटक से पहले संत नगर के बाहर एक विवादित इमारत का काम फिर चालू कर दिया गया जहां पूर्व एटीपी सुखदेव वशिष्ट ने दो बार डिच चलाई थी और काम बंद करवाया था मगर उनके तबादले के बाद यहां ओपन एरिया में सीढ़ी बनाने का काम दोबारा चालू कर दिया गया। मिली जानकारी अनुसार कमिशनर अभिजीत कपलिश के खिलाफ जनहित सोसायटी द्वारा सीएम भगवंत मान को शिकायत भेज कर आरोप लगाया गया है कि उनकी तैनाती के बाद जालन्धर निगम प्रशासन लगातार वित्तिय नुक्सान और भ्रष्टाचार की और बढ़ा है तथा शहरवासी मूलभूत सुविधाएं न मिलने पर जब निगम दफ्तर पहुंचते हैं तो कमिशनर अक्सर अपनी सीट से गायब रहते हैं। लिहाजा उनका तबादला कर यहां कोई जिम्मेदार एवं जनता की समस्याएं दूर करने वाला अधिकारी नियुक्त किया जाए। इस मामले में निगम कमिशनर से संपर्क करना चाहा मगर उनसे संपर्क नहीं हो सका उनका पक्ष मिलने पर उसे भी प्रकाशित किया जाएगा।





