पिछले चार सालों दौरान एक बार भी टारगेट अचीव नहीं कर पाई प्राप्टी टैक्स शाखा
- प्राप्टी टैक्स शाखा: चार सुपरीडैंट तैनात करने का प्रयोग असफल
- बीते वर्ष के मुकाबले 9 करोड़ पीछे चल रही शाखा
- तीन महीनों में 20 करोड़ जमा करवाना बड़ी चुनौती
अनिल वर्मा
निगम के वित्तीय हालातों को पटरी पर लाना निगमाधिकारियों के लिए पिछले चार सालों से एक चुनौती बनी हुई है। इसका सबसे बड़ा कारण यहां के जिम्मेदार अधिकारियों का आलसी रवैया ही माना जा रहा है। प्राप्टी टैक्स शाखा में रैवन्यू बढ़ाने के लिए यहां चार सुपरीडैंटों को तैनात करने का प्रयोग भी असफल साबित हुआ। पिछले चार सालों दौरान प्राप्टी टैक्स शाखा एक बार भी अपना सालाना टारगेट अचीव नहीं कर पाई।
जीआईएस सर्वे के अनुसार निगम के दायरे में कुल 2 लाख 93 हजार प्राप्टी हैं जिनमें 1 लाख 60 हजार टैक्सेबल हैं। इन प्राप्टियों से टैक्स कलैक्शन का सालाना टारगेट 40 करोड़ का है मगर 31 दिसंबर तक 20 करोड़ का ही जमा हुआ। पिछले साल के मुकाबले यह 9 करोड़ रुपये कम है। शाखा के सुपरीडैंट महीप सरीन का कहना है कि सारा टैक्स आनलाईन जमा होता है कई लोग अपना टैक्स कम जमा करवाते हैं जिसे चैक करने का आनलाईन कोई विकल्प नहीं है। टीम कई बार फीलड में जाकर मैनुअल चैक करती है। जिसके बाद कुछ लोग मौके पर ही बकाया टैक्स जमा करवा देते हैं।
बता दें कि सारा काम आनलाईन होने के बावजूद प्राप्टी टैक्स शाखा में चार सुपरीडैंट तैनात किए गए हैं जबकि अन्य शाखाओं में एक-एक सुपरीडैंट को दो से अधिक शाखाओं का पदभार सौंपा गया है। राजीव रिषी तथा महीप सरीन पिछले पांच साल से इसी शाखा में तैनात हैं जबकि उनके बाद यहां दो अन्य सुपरीडैंट को तैनात किया जा चुका है।
शाखा के सपुरीडैंट ने कहा कि इस बार कोरोना महामारी के कारण टैक्स जमा नहीं हो पाया। कई बड़े माल बंद होने के कारण टैक्स जमा नहीं करवा रहे। इसी कारण टैक्स डिफाल्टरों की प्राप्टी को सील नहीं किया जा रहा है।
वही House Tax के 23000 डिफाल्टर है जिनमें से 15000 मामलों के कोर्ट केस चल रहे हैं अन्यों के हाउस टैक्स रिकवर करनेे ने लिए विभाग द्वारा कोई भी सख्ती नहीं की जा रही है।
PROPERTY | 2,93,000 |
TAXABLE | 1,60,000 |
COMMERCIAL | 30,000 |
RESIDENTIAL | 1,20,000 |
INDUSTRIAL | 5700 |
MIXED | 9000 |