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कोई ट्रेवल हिस्ट्री नहीं, फिर भी लोग क्यों हो रहे हैं ओमिक्रॉन से संक्रमित, डॉ. ने बताया

कोरोना के नए वैरिएंट को लेकर लोग पहले से ज्यादा डरे हुए हैं। सभी जगह से चेतावनी मिल रही हैं कि ओमिक्रॉन पिछले डेल्टा वैरिएंट के मुकाबले ज्यादा खतरनाक है। इसलिए हमें ज्यादा सावधान रहना चाहिए। एक और बात है जो इस नए वैरिएंट में देखने को मिली है, वो यह कि भारत में बिना यात्रा के भी लोग ओमिक्रॉन से संक्रमित हो रहे हैं। यानी की जिन लोगों ने पिछले कुछ समय में बाहर कहीं भी यात्रा नहीं की, वे भी ओमिक्रॉन पॉजिटिव हुए हैं। खासतौर से ऐसा तब हो रहा है, जब ये लोग वैक्सीन की सभी डोज ले चुके हैं। बता दें कि कोरोना का यह नया वैरिएंट पहले से ज्यादा संक्रामक है और इसने यूके में तबाही मचा दी है।

हालात ये हैं कि अब तक भारत में इसके 87 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। भारत में टीकाकरण अभियान तेज होने के साथ हम खुद को श्वसन वायरस से सुरक्षित तो मानते हैं, लेकिन यूएस बेस्ड पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. विन गुप्ता बताते हैं कि हमें पॉजिटिव आने वाले वैक्सीन लगवा चुके लोगों के साथ सहज होना होगा। हम आने वाले 3-4 महीनों में कई और सफल मामलों की उम्मीद कर रहे हैं। लोगों को यह समझने की जरूरत है कि कोविड वैक्सीनेशन का मकसद पॉजीटिव टेस्ट को रोकना नहीं है, बल्कि श्वसन वायरस से अस्पताल में खुद को भर्ती होने से रोकना है। यह ध्यान देने की जरूरत है कि अगर कोविड को लेकर प्रतिबंध नहीं लगाए गए , तो वैक्सीन की दोनों डोज लगवा चुकी आबादी का एक हिस्सा संक्रमित हो जाएगा। इसलिए इसके प्रसार को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी अभी हम पर है।

​कम्यूनिटी के जरिए फैल सकता है नया वैरिएंट

देखा जाए, तो अधिकारी तक वायरस को फैलने से रोकने के सभी कोविड प्रोटोकॉल का पालन कर रहे हैं। उसके बावजूद नियमित जांच और परीक्षण के साथ हर रोज नए मामले सामने आ रहे हैं। सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि लोग यात्रा पर जाए बिना ही संक्रमित हो रहे हैं। यह इस बात का संकेत है कि अब नया वैरिएंट कम्यूनिटी के जरिए फैल सकता है।

​संक्रमण के प्रकोप से हो सकती हर्ड इम्यूनिटी

वैज्ञानिकों को यह भी लगता है कि अधिकांश आबादी के वैक्सीनेटेड होने के साथ इन संक्रमण के प्रकोप से हर्ड इम्यूनिटी हो सकती है। हर्ड इम्यूनिटी वह स्थिति है , जब आबादी का एक निश्चित हिस्सा किसी बीमारी के प्रति इम्यून हो जाता है। यानी की अगर एक निश्चित आबादी इम्यून हो जाए, तो वो लोग किसी और को संक्रमित नहीं कर पाएंगे। वैसे हर्ड इम्यूनिटी शब्द वैक्सीन के संदर्भ में इस्तेमाल होता है। इससे कम्यूनिटी ट्रांसमिशन की चेन लगभग टूट जाती है।

​वैक्सीन केवल लोगों को अस्पताल से दूर रखने के लिए है

भारत में बूस्टर डोज के अभाव में अभी पूरी तरह से वैक्सीनेटेड हो चुके लोग घबरा रहे हैं। खासतौर से वे जो पूरी तरह से प्रतिरक्षित हैं । वे लोग भी जिन्हें पहले जैब में चोट लगी है। ऐसे लोग भी हैं, जिनके ब्लड सैंपल में एंटीबॉडी प्रतिक्रिया में कमी दिखाई दे रही है। लेकिन डॉक्टर चाहते हैं कि उन्हें पता चले कि अन्य वायरय से उलट श्वसन वायरस थोड़ा अलग है। हमें यह समझना होगा कि हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली एंटीबॉडी से ज्यादा है, टी-सेल्स भी हैं , जो बताते हैं कि वायरस से कैसे लडा़ जा सकता है। डॉक्टर्स ने लोगों को समझाया है कि वैक्सीन केवल लोगों को अस्पताल से दूर या बाहर रखने के लिए है।

​बूस्टर डोज नहीं, तब तक प्रोटोकॉल फॉलो करें

हालांकि कुछ देशों ने अपनी बूस्टर डोज शुरू कर दी है। इंटरनेशनल लेवल पर भी वार्षिक शॉट हासिल करने के बारे में भी चर्चा चल रही है। इसलिए भारत में बूस्टर डोज के अभाव में यह जरूरी है कि हम सभी कोविड प्रोटोकॉल का पालन करें और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। घर से बाहर निकलने पर मास्क लगाए रखें, लगातार हाथ धोते रहें, खदु सुरक्षित रहें और दूसरों को भी वायरस से सुरक्षित रखें।

​भारत में नो ट्रेवल हिस्ट्री के कई मामले

भारत में मुंबई, बैंगलोर और गुजरात के मेहसाणा में ओमिक्रॉन से संक्रमित लोगों में कुछ ऐसे हैं, जिनकी कोई ट्रेवल हिस्ट्री नहीं है। हाल ही में गुजरात के मेहसाणा जिले के पिलवई गांव की 41 वर्षीय महिला को कोरोनावायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट का पता चला। गुजरात में यह इस तरह का पांचवा मामला था। मेहसाणा के मुख्य जिला अधिकारी के अनुसार, कोरोना की पूरी डोज लगवा चुकी महिला स्थिर है , जबकि उन्होंने कहीं भी यात्रा नहीं की । लेकिन वह हाल ही में एक अंतिम संस्कार समारोह में जिम्बावे से लौटे कुछ लोगों के संपर्क में जरूर आई थीं।

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