पुषाण मुद्रा क्या है
शरीर के अंदर मुख्य रूप से तीन वायु होती है, जिसमें प्राण, व्यान और अपान के नाम से जाना जाता है। आपको बता दें कि पुषाण मुद्रा इन तीनों ही वायु पर लाभ प्रदान कर सकती है। ज्ञात हो कि इसके जरिए जठराग्नि मजबूत होती है, तनाव कम होता है और याददाश्त भी अच्छी होती है। इसके अलावा सबसे जरूरी यह आपकी पाचन क्रिया को पूरी तरह दुरुस्त करने का काम करती है।
पुषाण मुद्रा के फायदे
पुषाण मुद्रा किसी बीमारी का उपचार नहीं है। लेकिन यह पेट फूलने, मतली, और अधिक भोजन के बाद की स्थिति के साथ सभी तरह की गैस्ट्रिक समस्याओं को खत्म कर सकता है। इन शारीरिक समस्याओं के अलावा पुषाण मुद्रा चिंता और तनाव को भी दूर कर सकती है। साथ ही यह मानसिक और भावनात्मक तनाव से भी राहत दिला सकती है।
पुषाण मुद्रा सीधे हाथ से करने की विधि
दूसरी कई मुद्रा के मुकाबले पुषाण मुद्रा के दौरान दोनों हाथों की स्थिति अलग – अलग होगी। इसमें आपकी दाहिने हाथ की उंगलियां रिसेप्टिव पोजीशन में होंगी वहीं बाएं हाथ की उंगलियां एलेमिनेटिंग पोजीशन में होंगी। ऐसे में इस मुद्रा को करने के लिए दाहिने हाथ से शुरू करें। इसमें अपनी मिडिल फिंगर और इंडेक्स फिंगर को अंगूठे के नोक पर दबाएं। आपको बता दें कि इस दौरान आपकी मिडिल या रिंग फिंगर और छोटी उंगली को फैलाकर रखना है। साथ ही इसमें आपकी हथेली ऊपर की ओर होगी। इस मुद्रा के माध्यम से अधिक भोजन के बाद एसिड रिफ्लक्स की स्थिति से राहत पाई जा सकती है।
अगली पोजीशन आपकी गैस, कब्ज, और पेट फूलने की स्थिति को नियंत्रित करने का काम कर सकती है। इसके लिए आप अपनी रिंग फिंगर और छोटी उंगली को अंगूठे से दबाएं। वहीं इस दौरान इंडेक्स और मिडिल फिंगर खुली रहेंगी और हथेली ऊपर की ओर ही होगी।
उल्टे हाथ से पुषाण मुद्रा करने की विधि
उल्टे हाथ से पुषाण मुद्रा गैस्ट्रिक समस्याओं के लिए की जाती है। इसके लिए उल्टे हाथ की अपनी मिडिल फिंगर और रिंग फिंगर को अंगूठे से दबाएं। इस दौरान आपकी इंडेक्स और पिंकल फिंगर बाहर की तरह खुली रहेंगी, साथ ही हथेली ऊपर की ओर ही रहेगी। अब अपने हाथों के पिछले हिस्से को जांघों पर रखें। इसके साथ सांस लेते हुए उंगलियों से अंगूठे पर दबाव बढ़ाएं और सांस छोड़ते हुए दबाव कम करें और रिलैक्स करें।
आप इस मुद्रा का अभ्यास किसी भी स्थिति में कर सकते हैं। जैसे आप वज्र मुद्रा या अनुग्रह मुद्रा के दौरान कर सकते हैं। ज्ञात हो कि यह मुद्राएं पाचन क्रिया को बेहतर बनाने का काम ही करती है। इस मुद्रा को पांच मिनट के गैप में रोजाना 45 मिनट तक कर सकते हैं। साथ ही आप इस मुद्रा को किसी भी समय पर कर सकते हैं।