वजन कम करने के लिए लोग इंटरनेट पर दिए गए हर तरीके अपनाते हैं। लेकिन अगर आप अपने भीतर की कमी को पहचान लें, तो शायद ही कभी आपको इंटरनेट की मदद लेनी पड़े। एक व्यक्ति के मोटापे के लिए उसकी दिनचर्या जिम्मेदार होती है। आप दिनभर में क्या करते हैं, कैसे रहते हैं, क्या खाते हैं और कैसा खाते हैं, ये बहुत मायने रखता है। गुड़गांव की एक कंपनी में ब्रांड मार्केटर के तौर पर काम कर रहे 25 साल के अंबुज सक्सेना का वजन 125 किलो हो गया था।
अंबुज बताते हैं कि जब वे छोटे थे, तो उनके पेट के कीड़े सिर में आ गए थे। इसके लिए डॉक्टर ने खूब सारी ग्लूकोज की बोतलें चढ़ाईं, जिसके कारण मेरा फैट बहुत बढ़ गया। इसके बाद रिकवर होने के लिए सब तरह का जंक फूड, फास्ट फूड, ऑयली फूड खाना शुरू कर दिया। उम्र बढऩे के साथ खाने-पीने के शौकीन अंबुज को जब अपने मोटापे का अहसास हुआ, तो उन्होंने एक झटके में मोबाइल से सारे फूड ऐप डिलीट कर दिए और खाने की आदतों में बदलाव करके मात्र 8 महीनों में 50 किलो वजन घटा लिया और फैट से फिटर बन गए।
- नाम-अंबुज सक्सेना
- व्यवसाय- ब्रांड मार्केटर
- आयु- 25 साल
- शहर- गुडगांव
- सबसे ज्यादा रिकॉर्ड किया वजन- 125 किग्रा
- वजन कम किया- 50 किग्रा
(फोटो साभार: NBT)
कैसे आया टर्निंग पॉइंट
अंबुज बताते हैं कि एक दिन ऑफिस में टेबिल टेनिस खेलते हुए मेरे एक दोस्त ने मेरी एक फोटो क्लिक की। उसमें मेरी तोंद पूरी तरह से बाहर निकल रही थी। इस चीज ने मुझे बहुत शर्मिंदा किया। इस दिन से मैंने फैसला लिया कि अब चाहे जो भी हो फैट को कम करना ही है। बस उसी दिन सबसे पहले मैंने अपने मोबाइल से सारे फूड ऐप्स हटा दिए और हाई फाइबर व लो फैट डाइट लेना शुरू कर दी।
डाइट कैसी रही
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- नाश्ता- पोहा/ उपमा / दलिया
- दोपहर का खाना- ज्वार /बाजरा / मल्टीग्रेन आटे की दो रोटी के साथ सब्जी और दाल
- रात का खाना- स्प्राउट्स और काले चने
- प्री-वर्कआउट मील- एक ब्लैक कॉफी
- पोस्ट वर्कआउट मील- पोहा / उपमा / दलिया
- लो कैलोरी रेसिपी- ब्लैक कॉफी या नींबू पानी
वर्कआउट और फिटनेस सीक्रेट
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अंबुज बताते हैं कि मेरा वर्कआउट बहुत ही सिंपल था। मैंने 16 8 इंटरमिटेंट फास्टिंग से शुरूआत की। वॉटर फैट को कम करने के लिए कार्डियो और फिर स्ट्रेंथ ट्रेनिंग पर फोकस किया। वर्कआउट एक लिमिट में रहकर किया। सबसे ज्यादा ध्यान डाइटिंग पर दिया।
ओवरवेट होने के कारण किन समस्याओं का सामना करना पड़ा
ओवरवेट होना बहुत कष्टदायी होता है। वजन बढ़ जाए, तो शरीर के कार्य करने की क्षमता काफी कम हो जाती है। पहले जैसा फुर्तीलापन नहीं रहता। ओवरवेट होने के कारण अंबुज को लो स्टेमिना के साथ सांस लेने में दिक्कत आती थी और उनके आत्मविश्वास में भी कमी आने लगी थी।
खुद को मोटिवेट कैसे रखा
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अंबुज बताते हैं कि वजन कम करने के दौरान हमेशा अनुशासन, समर्पण और कभी ना हारने वाला रवैया अपनाया। इन तीनों ही चीजों ने मुझे हमेशा अपने लक्ष्य पर डटे रहने के लिए मोटिवेट किया।
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लाइफस्टाइल में क्या बदलाव किए
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आपकी बिगड़ी हुई जीवनशैली के लिए खाने-पीने की बुरी आदतें जिम्मेदार हैं। अंबुज कहते हैं कि हम सभी का पेट एक बैग की तरह है। इसमें जितना खाने के लिए डालेंगे, उतना ही यह फूलता जाएगा। इसलिए मैंने सिर्फ अपनी खाने-पीने की आदतों में बदलाव किया।
खुद के वेटलॉस से क्या सीख मिली
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अंबुज कहते हैं कि वजन कम करने के बारे में जितनी जल्दी सोच लिया जाए, उतना ज्यादा फायदा होता है। वेटलॉस के बाद यह सीख मिली कि फिटनेस कोई मंजिल नहीं है, यह तो बस जीने का एक तरीका है।