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ओमीक्रोन से भारत में फैला डर, जानें किन 2 लोगों को पड़ सकती है Booster Dose की जरूरत

हाल ही में ओमीक्रोन वेरिएंट भारत में भी पाया गया। यूनियन हेल्थ मिनिस्ट्री के ज्वाइंट सेक्रेट्री लव अग्रवाल का कहना है कि दोनों केस कर्नाटका में पाए गए हैं। उन्होंने कहा हेल्थ मिनिस्ट्री को कोविड-19 के इस सिचुएशन की तरफ ध्यान देना होगा। लगभग 29 देशों में 373 केस ओमीक्रोन वेरिएंट से प्रभावित हैं।

जहां ओमीक्रोन वेरिएंट का खतरा इस तरह से बड़ रहा है। क्या लोगों को बूस्टर डोज की जरूरत है। ताकि इससे बचा जा सके। कोविड-19 की शुरूआत के बाद अब पूरी दुनिया कोविड के साथ ही जीने को तैयार हो चुकी थी। तभी इसके नए वेरिएंट ओमीक्रोन ने पूरी दुनिया में तहलका मचा रखा है। विशेषज्ञ कह रहे हैं कि ओमीक्रोन के लिए हमारा वैक्सीन उतना प्रभावित नहीं है। अब यह सवाल सामने आ रहा है कि क्या वैक्सीनेशन के बावजूद भी लोगों को इस समय बूस्टर डोज की जरूरत है?

​बॉडी के इम्यून सिस्टम्स को समझना होगा

मुंबई स्‍थ‍ित वोरा क्‍लीन‍िक के चेस्‍ट फ‍िजीश‍ियन प्रोफेसर डॉक्‍टर अगम वोरा के मुताबिक कोरोना वायरस अभी हमारे बीच में है। लोग काम पर न‍िकल रहे हैं और स्‍कूल आद‍ि खुल रहे हैं। ऐसे में वैक्‍सीनेशन पूरा होने के बाद इम्‍यून‍िटी को परखने के ल‍िए एंटीबॉडी टेस्‍ट‍िंग पर बात करनी होगी। क्‍योंक‍ि इससे बूस्‍टर डोज देने की जरूरत पता करने में मदद म‍िलेगी। वैक्‍सीन वायरस को रोकने में प्रभावी है लेक‍िन 100 फीसदी नहीं। ऐसे में एंटीबॉडी टेस्‍ट‍िंग से शरीर के इम्‍यून स‍िस्‍टम को समझकर बूस्‍टर डोज देने पर ध्‍यान देना होगा।

​एंटीबॉडी लेवल के कम होने से क्या खतरा हो सकता है?

मेदांता के मेड‍िस‍िन ड‍िपार्टमेंट की सीन‍ियर डायरेक्‍टर डॉक्‍टर सुशीला कटार‍िया के अनुसार बूस्‍टर डोज देने या अत‍िर‍िक्‍त वैक्‍सीन डोज देने का कांसेप्‍ट वैक्‍सीन के असर कम द‍िखने के बाद आया है। हालांक‍ि, ऐसा कोई भी साक्ष्‍य नहीं है क‍ि ज‍िससे पता चल सके क‍ि प्रोटीन से इम्‍यून‍िटी बढ़ रही है। इस बीच लोग वायरस से संक्रम‍ित होने के खतरे की तरफ बढ़ रहे हैं। इसील‍िए तमाम देशों ने बूस्‍टर डोज देना शुरू क‍िया है।

​दूसरों की तुलना में किन लोगों को बूस्टर डोज की ज्यादा जरूरत है?

कुछ लोगों की इम्यूनिटी बहुत ज्यादा कमजोर होती है। ऐसे लोगों को एक एडिशनल डोज की ज्यादा जरूरत है। ऐसे पेशेंट जो मैलिंगनैसिस से परेशान है, जो रेडियोथैरेपी या कीमोथेरेपी पर हैं, जो लगातार स्टेरॉइड्स लेते हैं, ऐसे लोग जिनकी उम्र 65 वर्ष से ज्यादा है, डायबिटिक पेशेंट, क्रॉनिक किडनी पेशेंट, लिवर डिजीज पेशेंट, ऐसे लोग जो हाल ही में कोरोनावायरस इनफेक्टेड लोगों के संपर्क में रहे हो, उन्हें बूस्टर डोज की ज्यादा जरूरत है।

​क्या हमें कोरोनावायरस के नए म्यूटेंट से डरने की जरूरत है?

कोरोनावायरस का यह नया स्ट्रेंन एक हफ्ते पहले ही आया है। लेकिन यह पहले की तुलना में ज्यादा जल्दी संक्रमित कर रहा है। जब भी करोना का नया स्ट्रेंन आता है उसके बारे में रिसर्च करने के लिए कम से कम 1 महीने का वक्त लगता है। ऐसे में अभी हमारे पास इसे लेकर उतना डाटा मौजूद नहीं है। विशेषज्ञ लगातार रिसर्च कर रहे हैं। रिसर्च के बाद ही यह समझा जा सकता है कि इस म्युटेंट पर वैक्सीन इम्यूनिटी का असर होगा या फिर नेचुरल इम्यूनिटी का।

​सावधान रहें पर परेशान ना हो

कोरोनावायरस के इस नए स्ट्रेंन या नए म्यूटेंट से हमें सावधान रहने की जरूरत है। लेकिन इसे लेकर बहुत ज्यादा परेशान होना ठीक नहीं है। बजाय परेशान होने के हमें कोविड-19 लिए सही व्यवहार को अपनाना होगा।

अगर हर किसी को सही वक्त पर वैक्सीन की दोनों डोस लग जाए तो हम इस बीमारी से लड़ सकते हैं। इसके साथ ही मास्क लगाए रखना और साफ सफाई का ध्यान रखना भी बहुत ज्यादा जरूरी है।

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