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aser 2021 over 26 percent students dont have access to smartphone

हाइलाइट्स

  • 67 प्रतिशत से अधिक बच्चों के घर पर कम से कम एक स्मार्टफोन है।
  • 26 प्रतिशत की स्मार्टफोन तक अबतक पहुंच नहीं है।
  • हालांकि स्मार्टफोन की उपलब्धता में तीव्र वृद्धि हुई है।

देश के विद्यालयों में पढ़ाई कर रहे 67 प्रतिशत से अधिक बच्चों के घर पर कम से कम एक स्मार्टफोन है, लेकिन उनमें से 26 प्रतिशत की इस उपकरण तक अबतक पहुंच नहीं है। शिक्षा रिपोर्ट की वार्षिक स्थिति (ASER) के नवीनतम सर्वेक्षण में यह कहा गया है। बुधवार को जारी की गई एएसईआर रिपोर्ट में कहा गया है कि स्मार्टफोन की उपलब्धता में तीव्र वृद्धि हुई है, 2018 के 36.5 प्रतिशत से बढ़कर यह 2021 में 67.6 प्रतिशत हो गई।

हालांकि, निजी विद्यालयों में कहीं अधिक बच्चों के पास घर पर (79 प्रतिशत) स्मार्टफोन है, जबकि सरकारी विद्यालयों के बच्चों में 63.7 प्रतिशत के पास है।रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां तक स्मार्टफोन का उपयोग करने की बात है , छोटे बच्चे इससे ज्यादा वंचित हैं। घर पर स्मार्टफोन होने के बावजूद करीब 40 प्रतिशत को इसे छूने नहीं दिया जाता है। सर्वेक्षण का उद्देश्य देश में शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन का पता लगाना है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ”करीब 67.6 प्रतिशत बच्चों के पास घर पर स्मार्टफोन है। लेकिन उन घरों में 26.1 प्रतिशत बच्चों को इसका उपयोग नहीं करने दिया जाता। वहीं, उच्च कक्षा वाले छात्रों की स्मार्टफोन तक पहुंच निचली कक्षा के बच्चों की तुलना में अधिक है।” सर्वे में कहा गया है कि बिहार (53.8प्रतिशत) में सर्वाधिक संख्या में ऐसे छात्र हैं जिनके घर में स्मार्टफोन उपलब्ध हैं लेकिन उन्हें इसका उपयोग नहीं करने दिया जाता। इसके बाद पश्चिम बंगाल (46.5 प्रतिशत), उत्तर प्रदेश (34.3 प्रतिशत) और राजस्थान (33.4) का स्थान है।

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रिपोर्ट में जिक्र किया गया है कि परिवार की आर्थिक स्थिति भी स्मार्टफोन की उपलब्धता के लिए जिम्मेदार है। एएसईआर आम आदमी नीत घरेलू सर्वेक्षण है। यह रिपोर्ट 25 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में किये गये सर्वेक्षण पर आधारित है। इसके तहत कुल 76,706 घरों में सर्वेक्षण किया गया और 5 से 16 वर्ष की आयु के 75,234 बच्चों को शामिल किया गया।

वहीं, महामारीके चलते बंद रहने के बाद फिर से खोले गये कुल 4,872 विद्यालयों का सर्वेक्षण किया गया, जबकि सर्वेक्षण के नहीं खोले गये 2,427 विद्यालयों का उसके प्रभारियों से फोन पर सर्वे किया गया।

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